जब-जब विश्व के रीती रिवाजों, चेतनाओ में असंतुलन , परिवर्तन आया भारत सदा से विश्व चेतना का मर्गादर्सक रहा है< चुकी १२ वर्ष में सूर्य में बदलाव होता है> सूर्य का संबंध मानवीय चेतना से है, अतः उसके साथ- साथ मानवीय प्रकृति और ब्यवहार में भी बदलाव आता है < परिणामतः सामाजिक नीतियों, रीती रिवाजो में परिवर्तन की आवश्यकता अनुभव होती है < महाकुम्भ इसी परिवर्तन के अनुरूप समाधान खोजने का अयं है< कुम्भ में सम्पूर्ण विश्व की बिभूतिया सामायिक धर्म की खोज के लिए एकत्र होती रही है< सभी अपने धर्म, मत, पंथ, संप्रदाय वेश, सिधान्तो से परे हटके मानवता के हित में समाधान पर मंथन करते रहे है< परिणामतः एक विशेष सामायिक धर्म का निस्पछा भाव से निर्धारण होता था और सभी अपने चेत्र के पिठाधिस्वर के रूप में १२ वर्षो तक पालन करते थे < चुकी सिधांत सर्वमान्य होते थे अतः उन्हें लोकप्रियता मिलाना स्वाभाविक था<
दुःख है की आज सब बदल चूका है, फिर भी एस महानतम अनुष्ठान तो कहना ही परेगा <
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