कार्लमार्क्स ने साम्यवाद का नारा दिया था. सम्पूर्ण विश्व में फैले पूजी वाद की जरो को हिलाने में इसकी बरी भूमिका रही> लेकिन दुखद की यह अपनी ही जमीं पर दम तोरने के लिए विवश हुआ > सम्पूर्ण विश्व उसका दंड भी भोग रहा है.> इस विचारधारा से जुरना कभी शान मणि जाती थी> क्यों की इसमे गरीबी अमीरी की खाई को पटाने की शक्ति समाई थी> ग्लोबलिजेशन की अंधी में तबाह होते विश्व के सामने पुनः साम्यवाद जैसे सूत्र की तलाश जग रही है.> अध्यात्मिक साम्यवाद उशी की दिशा में एक पूर्ति हो सकती है > निचे कुछ विचार दिए जा रहे है पाठक से आग्रह है की वे भी अपने विचार भेजे .......
१- कार्लमार्क्स के साम्यवाद में था वर्ग संघर्ष
जबकि
अध्यात्मिक साम्यवाद का सूत्र है संघर्ष नहीं वर्ग सामंजस्य
२- कार्लमार्क्स के साम्यवाद में हरताल के लिए संगठन
जबकि
अध्यात्मिक साम्यवाद का सूत्र है नेक कार्य के लिए सामूहिक संकल्प
३- कार्लमार्क्स के साम्यवाद में पूजी छिन लो और बाट दो
जबकि
अध्यात्मिक साम्यवाद का सूत्र है संपत्ति का लोकहित में स्वैक्छिक नियोजन करना
४ कार्लमार्क्स के साम्यवाद में ये कार्य प्रशाशन के दबाव में होते है
जबकि
अध्यात्मिक साम्यवाद में जानत स्वनुशाशन में सभी निर्णय लेती है.
Tuesday, January 5, 2010
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9 comments:
amiri garibi ki khai ko mitane ke liye yah bara adhar hai. aj logo me vichardhara ka lop ho chuka hai is nayi vichar dhara se vishva ko bal milega. Dr. S. Mishra, jaipur
mass.comm
Adhyatmiksamyavad aaj ke samay ki mahatvpurn avashyakata hai. Aaj vicharo ka lop ho chukka hai.har koi amir banana ki khvaish me hai. Ese me koi to roke
Dr. S sharma
Mass. COMM. Jaipur
सुन्दर व लाजवाब बातें, आप को अवश्य नकलची व धुर अन्धभक्तों को जो मार्क्सवाद को गले में लटकायें रहते है बतानी चाहिए
अच्छे विचार हैं.
इस विषय पर बहुत ही बढिया लिखा आपने.....
शुभकामनाऎँ!!!
sriman ji,
kripya marxvaad ko padhne ka kast karein aapne bagair marxvaad ko padhe hue 4 sutriy karykram pesh kar diya hai charo sutr galat tathyon par adharit hain behtar yahi hoga ki aap svadhyay kar k apni post ko durust karne ka kast karein.
aap ka hi
suman
आपका हिन्दी ब्लॉग जगत में स्वागत है
http://alkagoel14.blogspot.com/
Dear Vijay Ji
Barbad gulista karne ko bas ek hi ulloo kafi tha, anjam hindostan kya hoga har sakh pe ullo beta hai
sanjay
केवल "साम्यवाद’ कहना ही काफ़ी है -- वस्तुतः जो जो आपने कहा वही साम्यवाद की असली पहचान व परिभाषा है, अध्यात्मिक लगाने की आवश्यकता हे नही।--रिग्वेद कहत है--
"समानी अकूती समामस्तु वो मनो, यथा वै सुसहामति"
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