किसी का कमेन्ट मुझसे आज डिलीट हो गया, उसे पढ़ा भी नहीं था > एक छोटी सी चूक बढ़ा कारन बन सकती है> समाज परिवर्तन् की सकारात्मक धारा को अवरुद्ध कर सकती है क्यों की इस संसार में कोई भी बात छोटी नहीं हुआ कराती> समाज जिसे छोटी बात, छोटे लोग, आदि कहकर भुला देता है अध्यात्मिक साम्यवाद उसी में महानता की संभावना की तलाश करता है > बर्तमान कठिनाइयों का कारन हर स्टार पर नजरादाज करने की आदत ही है> जैसे बढ़ाते अध्यात्मिक साम्यवादी आन्दोलन का एक पहिया रुक गया > आशा है अप पुनः सदेश भेजोगे >
धन्यवाद
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