पारिवारिकता परक संवेदनशील प्रशाशन का विकास अध्यात्मिक साम्यवाद की पहली सीढ़ी है. इस प्रशाशन में खीझ नहीं होती. तनाव, दबाव , हताशा, निराशा नहीं होता< इस प्रशाशन का माडल सीधी रेखा में नहीं होता अपितु राउंड में बैठ कर काम करता है, सामाजिक स्तर पर कोई bara छोटा नहीं होता, सभी एक दुसरे के पूरक होते है , एक दुसरे को कमजोर करने का कोई प्रयास नहीं करता< सभी आपस में सुख दुःख के भागीदार बनाते है,
कंपनी या संसथान का लकच्या सभी मिलजुल कर तय करते है, ग्राहक को भी वहा परिवार का ही अंग मान कर जेब पर नजर डाली जाती है< एक बात काफी महत्वपूर्ण की लोग अपनी छमता भर काम करते है और आवश्यक आवश्यकता भर लेकर निर्वाह करते है. जब समान जीवन शैली अपनाना सबका संकल्प होगा तो पैसे की अमीरी गरीबी समाप्त होगी और शोषक-शोषित वर्ग का अंत होगा अब समय की माग हो रही है की ऐसे समाज की रचना के लिए हम खुद तैयार हो अन्यथा समाज अपना रास्ता खुद तय कर लेगा तब काफी देर हो चुकी होगी < हम समय की पुकार सुने<
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